द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान बोकारो, चास और आसपास के क्षेत्र सैनिक गतिविधियों के महत्वपूर्ण केन्द्र रहे। यहां थलसेना के 81 वेस्ट अफ्रीकन डिविजन, 5 माउंटेन डिविजन एवं अमेरिकी वायु सेना के 444 वें बंबार्डमेंट ग्रुप ने प्रशिक्षण हासिल किया। सभी सैनिक बर्मा में लेफ्टिनेंट जेनरल स्टिलवेल के नेतृत्व में लड़ रही मित्र राष्ट्रों की संयुक्त सेना की करारी हार के बाद यहां लाए गए थे। आजाद हिन्द फौज एवं जापानी सेना ने मित्र राष्ट्रों की संयुक्त सेना को पीछे धकेल दिया था। चास में वेस्ट अफ्रीकन डिविजन का था कैंप : चास में 81 वेस्ट अफ्रीकन डिविजन के करीब 40 हजार सैनिकों को जंगलों में युद्ध करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया। उन्हें प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी 5वीं भारतीय डिविजन को सौंपी गयी थी जिसका नेतृत्व मेजर जेनरल हेराल्ड राडन ब्रिग्स कर रहे थे। इस डिविजन को इटालियन, जर्मन सेना, इरिट्रिया, अबीसिनिया तथा अफ्रीका के पूर्वी रेगिस्तान में जंगल में लड़ने का अनुभव था। औपनिवेशिक नीति के तहत अंग्रेजों ने बर्मा जीतने के लिए चास को प्रशिक्षण स्थल के रूप में तब्दील कर दिया। बोकारो क...
बोकारो जिला के बारे में जानकारी देने का प्रयास