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Showing posts from September, 2010

जा जा हो करम गोसांई..!

आदिवासियों का पारंपरिक पर्व करमा आज पूरे उत्साह व उमंग के साथ पूरे झारखंड में मनाया गया। यह पारंपरिक पर्व हरियाली का प्रतीक है। इस दिन प्रकृति की पूजा की जाती है। आज अपने पारंपरिक परिधान में आदिवासी ढ़ोल व मांडर की थाप पर थिरकते हैं। इस अवसर पर बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र व महिलाएं अपने पति के लिए कामना करती हैं। बहनें अपने भाईयों के लिए सुख व समृद्धि की चाहत रखती हैं। कल अपराह्न् में सभी लोग जुलूस की शक्ल में ढ़ोल-नगाड़ों के साथ पूजा स्थल पर गए। सबलोग प्रकृति के रंग में रंगे हुए थे। नाचते-गाते सड़कों पर उन्मुक्त मन से प्रकृति की पूजा की गयी। राजधानी रांची समेत झारखंड के अन्य जिलों में इस पर्व को लेकर खासा उत्साह बना होता है। जगह-जगह पर शानदार सजावट देखने को मिली , बच्चों में भी खासा उत्साह है। जा जा हो करम गोसांई, जा छोवो मास। आवोतो भादरो मास, आनोबो घुराय॥ देलियो गे करमइती, देलियो आसीस गे। तोर भइया जीयोतो, राखोतो रीति गे॥ जैसे गीतों के साथ चास-बोकारो के देहाती इलाकों में करमा पर्व की धूम थी। रविवार की रात जागरण किया गया। बहनों ने भाई की लंबी उम्र के लिए रात भर कर...