शिल्पकला की परंपरा भारत के इस पूर्वी क्षेत्र में झारखंड की सभ्यता-संस्कृति का गौरव है. झारखंड की शिल्पकला के काफ़ी उन्नत होने के बावजूद यहां के शिल्पकारों को उस तरह की प्रसिद्धि नहीं मिली, जिनके वे हकदार हैं. झारखंड की शिल्पकलाओं और शिल्पकारों की उन्नति के लिए झारखंड बनने के बाद सरकार की ओर से जिस तरह की सहायता की अपेक्षा की गयी, वैसा कुछ नहीं हुआ. इस कारण यहां की शिल्पकला को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस तरह का स्थान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला. इन शिल्पकलाओं को जरूरत है, तो आर्थिक सहायता और प्रोत्साहन की. इसके अभाव में झारखंड की शिल्पकलाएं आज लुप्त होने के कगार पर हैं. पारंपरिक काष्ठकला राज्य की विभिन्न शिल्प कलाओं में लकड़ी के शिल्प (काष्ठकला) का महत्वपूर्ण स्थान है. आज इसे लोग भूलते जा रहे हैं. झारखंड के जंगलों में पहले लकड़ी भरपूर मात्रा में उपलब्ध हो जाया करती थी. लकड़ियों की उपलब्धता के कारण लोग काफ़ी संख्या में लकड़ी की वस्तुओं का निर्माण करते थे. वहीं आज लकड़ियों की किल्लत की वजह से लकड़ी की वस्तुएं कम बन रही हैं. झारखंड में बनी वस्तुओं के निर्माण में ज्यादातर अच्छ...
बोकारो जिला के बारे में जानकारी देने का प्रयास