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अंग्रेजी हुकूमत में बोकारो स्थित झुमरा पहाड़ी पर होती थी चाय की खेती ....

बोकारो स्थित झुमरा पहाड़ पर माओवादियों के विरुद्ध पिछले दिनों पुलिस द्वारा चलाए गए ऑपरेशन शिखर में माओवादियों ने जहां करीब चार हजार राउंड गोलियां चलायीं, वहीं कोबरा बटालियन, झारखंड जगुआर, सशस्त्र जिला बल के जवानों, पुलिस पदाधिकारियों एवं सीआरपीएफ के जवानों ने एके 47 रायफल से 2 हजार 171 राउंड, इंसास से 396 राउंड, एसएलआर से 158 राउंड तथा 9 एमएम पिस्टल से 25 राउंड गोलियां चलायीं। पुलिस फोर्स ने एके 47, इंसास, एसएलआर, 9एमएम पिस्टल, राइफल, ग्रेनेड, एसजी राइफल, यूडीजीएल आदि हथियारों का प्रयोग किया।

आज जहां नक्सलियों और पुलिस के मुठभेड़ के बाद गोलियों की केवल तड़तड़ाहट सुनाई दे रही है, उसी झुमरा पहाड़ी पर गुलाम भारत में उन्नत चाय की खेती होती थी। देश आजाद हुआ तो डालमिया उद्योग की ओर से बनने वाले अशोका ब्रांड पेपर के लिए यहां से बांस जाने लगा। चाय व बांस की खेती के लिए रामगढ़ समेत आस-पास के ग्रामीणों को मजदूरी करने के लिए यहां लाकर बसाया गया। कागज उद्योग बंद होने के बाद मजदूरी करने आए लोग यहीं बस गए। उस समय यहां रोजगार के साधन नहीं थे। फलस्वरूप लोग बकरी व मुर्गी पालन कर जीविका चलाने लगे। सड़क नहीं होने की वजह से ये बड़ी मुश्किल से नीचे आते थे। आजादी के बाद यहां विकास के नाम पर महज प्राथमिक विद्यालय व चेक डैम बनाए गए।

महाजनी प्रथा का विरोध कर यहां उग्रवादियों ने शुरूआती दौर में अपने पांव जमाएं। भौगोलिक स्थिति की वजह से सरकार की कोई विकास योजना यहां नहीं पहुंच पायी। नक्सलियों ने इसका फायदा उठाया और यहां अपना प्रशिक्षण केन्द्र बना लिया। वर्तमान में नेपाल के बड़े नक्सली नेताओं ने भी यहां प्रशिक्षण लिया। झारखंड व बिहार के नक्सलियों को यहां हिंसा का पाठ पठाया जाने लगा। 
बोकारो के तत्कालीन एसपी केएस मीणा सबसे पहले नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा खोला। लेकिन पुलिस को उतनी सफलता नहीं मिल पायी। इसके बाद तत्कालीन एसपी तदाशा मिश्रा ने यहां तीस कंपनी फोर्स को लेकर चढ़ाई शुरू की। झुमरा पर पहली बार राज्य शासन के आला अधिकारी उस समय पहुंचे थे।

नक्सलियों के खिलाफ अभियान चला तो पुलिस का मनोबल बढ़ा। बतौर एसपी अनिल पालटा ने झुमरा को कई बार रौंदा। बाद में बतौर डीआइजी पालटा ने केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल का वर्ष 2006 में कैंप स्थापित कर दिया। बल ने यहां सिविक एक्शन प्लान के तहत कुछ विकास का काम भी किया। स्थानीय लोगों से सीआरपीएफ ने सब्जी समेत अन्य सामान खरीदना शुरू कर दिया तो उनकी कुछ आमदनी भी बढ़ गयी। कई बार यहां के गांव वालों ने सड़क बनाने का अनुरोध किया। लेकिन सड़क नहीं बन सकी। आज भी यहां के लोगों को बेहतर इलाज के लिए कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।

गोमिया विधायक सह झारखंड राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के चेयरमैन श्री माधव लाल सिंह जी का मानना है कि झुमरा समेत आस-पास के इलाकों को उग्रवाद से मुक्त करने के लिए विकास जरूरी है। यहां सड़क, बिजली, शिक्षा व चिकित्सा का घोर अभाव है। खेती के लिए उपजाऊ भूमि है, लेकिन सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है। लोग मेहनत से सब्जी की खेती करते हैं। लेकिन सड़क के अभाव में उसे बाजार तक नहीं पहुंचा पाते। विधान सभा में उन्होंने प्रश्न उठाया तो सरकार ने पंचमो में हाई स्कूल बनाने का भरोसा दिया। बहुत जल्द ही सड़क बनाने का भी काम शुरू कर दिया जाएगा।

अरविंद जी , बोकारो
(दैनिक जागरण से साभार)

Comments

  1. जानकारी के लिये आभार। राष्ट्र के पिछड़े क्षेत्रों की आर्थिक समृद्धि बहुत कुछ बदल सकती है।

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  2. जानकारीपरक लेख

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