Skip to main content

Posts

Showing posts from 2010

बोकारो हवाई अड्डा से उड़ान भरेगे लोग

'यात्रीगण कृपया ध्यान दें!' , 'पटना जाने के लिए विमान तैयार है!' , 'आपकी यात्रा मंगलमय हो!' , कुछ इसी तरह की आवाज अब जिले के लोग बोकारो हवाई अड्डा पर सुन सकेंगे। जी हां! जल्द ही इस हवाई अड्डे से लोग निजी हवाई यात्रा कर सकेंगे। सबसे पहले एयर डेक्कन से उनकी यात्रा शुरू होगी। यह बोकारो के इतिहास में पहला मौका होगा, जब इस हवाई अड्डे से आम लोग हवाई यात्रा का लुत्फ उठा सकेंगे। बोकारो इस्पात नगर में हवाई अड्डा तो है। लेकिन अभी तक इसका उपयोग सार्वजनिक तौर पर नहीं होता है। बीएसएल के आला अधिकारी व राजनेताओं को यहां की सुविधा मिलती रही है। इसलिए आम लोग बोकारो हवाई अड्डे से दूर ही रहे। लेकिन विकास की तीव्र रफ्तार ने बोकारो जिले की फिजा बदल दी है। यह जिला अब तेजी से इस्पात हब के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। इसलिए अब लोगों को हवाई यात्रा की भी जरूरत महसूस हो रही है। अभी तक लोग बोकारो से रांची जाकर ही हवाई यात्रा करते रहे है। जानकारी के मुताबिक समय की मांग के अनुसार अब बीएसएल प्रबंधन भी हवाई अड्डे के विस्तार की मूड में है। इस संबंध में एयर डेक्कन के साथ वार्ता

जा जा हो करम गोसांई..!

आदिवासियों का पारंपरिक पर्व करमा आज पूरे उत्साह व उमंग के साथ पूरे झारखंड में मनाया गया। यह पारंपरिक पर्व हरियाली का प्रतीक है। इस दिन प्रकृति की पूजा की जाती है। आज अपने पारंपरिक परिधान में आदिवासी ढ़ोल व मांडर की थाप पर थिरकते हैं। इस अवसर पर बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र व महिलाएं अपने पति के लिए कामना करती हैं। बहनें अपने भाईयों के लिए सुख व समृद्धि की चाहत रखती हैं। कल अपराह्न् में सभी लोग जुलूस की शक्ल में ढ़ोल-नगाड़ों के साथ पूजा स्थल पर गए। सबलोग प्रकृति के रंग में रंगे हुए थे। नाचते-गाते सड़कों पर उन्मुक्त मन से प्रकृति की पूजा की गयी। राजधानी रांची समेत झारखंड के अन्य जिलों में इस पर्व को लेकर खासा उत्साह बना होता है। जगह-जगह पर शानदार सजावट देखने को मिली , बच्चों में भी खासा उत्साह है। जा जा हो करम गोसांई, जा छोवो मास। आवोतो भादरो मास, आनोबो घुराय॥ देलियो गे करमइती, देलियो आसीस गे। तोर भइया जीयोतो, राखोतो रीति गे॥ जैसे गीतों के साथ चास-बोकारो के देहाती इलाकों में करमा पर्व की धूम थी। रविवार की रात जागरण किया गया। बहनों ने भाई की लंबी उम्र के लिए रात भर कर

नेतरहाट आवासीय विद्यालय नामांकन घोटाले में बोकारो भी शामिल

कभी एकीकृत बिहार और अब झारखंड का गौरव कहा जानेवाला नेतरहाट आवासीय विद्यालय नामांकन घोटाले को लेकर चर्चा में है। कुल 100 सीटों के लिए हुई प्रवेश परीक्षा में 48 बच्चे फर्जी तरीके से परीक्षा पास किया है। जिसका प्रमाण झारखंड एकेडमिक काउन्सिल को मिला है। इन 48 बच्चों में से राँची के 37 और बोकारो के 11 बच्चे है। प्रवेश परीक्षा के प्रकाशित परिणाम में से कुल ग्यारह छात्र कुर्मीडीह होली पब्लिक स्कूल के ही चयनित हो गए। इसमें कई छात्र रांची में रहते थे लेकिन नेतरहाट प्रवेश परीक्षा कुर्मीडीह होली पब्लिक स्कूल से दी। मामले पर अधिविद्य परिषद की नजर पड़ी व जांच का सिलसिला चल पड़ा। जब परिषद के संयुक्त सचिव ए के मल्लिक विद्यालय पहुंचे तो सब कुछ साफ हो गया कि चयनित छात्रों में से एक भी इस विद्यालय के नहीं हैं। न ही प्रधानाध्यापक ने उनका फार्म अग्रसारित कराया है। ऐसे में परिषद ने 18 अगस्त को सभी उत्तीर्ण छात्रों एवं प्रधानाध्यापक को परिषद कार्यालय में मूल प्रमाण पत्रों के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया था। विभिन्न छात्र संगठन प्रतिनिधियों ने गुरुवार को जिला शिक्षा प्रबंधन से भ्रष्टाचा

डीपीएस बोकारो की प्राचार्या हेमलता एस मोहन झारखंड राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष बनीं !!

डीपीएस बोकारो की प्राचार्या हेमलता एस मोहन को झारखंड राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है. लक्ष्मी सिंह का कार्यकाल सितंबर 2009 में पूरा होने के बाद से यह पद रिक्त था. वहीं समाजसेवी व वरिष्ठ पत्रकार वासवी किड़ो और रांची वीमेंस कॉलेज की प्रोफ़ेसर इंचार्ज व इतिहास की शिक्षिका डॉ जीनत कौशर , रांची विवि स्नातकोत्तर हिंदी विभाग की पूर्व अध्यक्ष व पूर्व कुलपति स्वर्गीय डॉ एके धान की पत्नी डॉ मंजु ज्योत्सना तथा सिल्ली छोटामुरी की रहनेवाली अनुराधा चौधरी को आयोग का सदस्य बनाया गया है. राज्यपाल एमओएच फारूक के निर्देश पर समाज कल्याण विभाग द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गयी है. डॉ जीनत कौशर को नीलांबर-पीतांबर विवि डालटनगंज में प्रतिकुलपति बनाया गया था , लेकिन उन्होंने योगदान नहीं किया. (प्रभात खबर से साभार) उन्‍हें बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!

बोकारो में क्वींस बैटन का भव्य स्वागत

कामनवेल्थ गेम्स को लेकर निकली मशाल क्वींस बैटन    के बोकारो आगमन से पहले ही इसका विरोध शुरू हो गया था। कई दिन पूवर्क्वींस बैटन विरोधी मंच के बैनर तले चास स्थित धर्मशाला मोड़ पर सदस्यों ने धरना देकर अपने विरोध का इजहार किया था । धरना देने वालों का विचार था कि क्वीन नाम होने से बैटन का स्वागत भारतमाता के वीर शहीदों का अपमान है। उन्होंने इसे पूरी तरह से औचित्यहीन बताया था। मंच के सदस्यों ने प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र के माध्यम से कहा था कि इसका नाम बदल कर किसी राष्ट्रपुरोधा के नाम पर किया जाए। धरने में अनिल कुमार गुप्ता, राजेंद्र महतो, धर्मवीर, वाहिद खान आदि मौजूद थे।   पर आज क्वींस बैटन धनबाद होते हुए जब बोकारो पहुंची , तो इसका भव्य स्वागत किया गया। जिले के उपायुक्त डा. नितिन मदन कुलकर्णी और पुलिस कप्तान साकेत कुमार सिंह ने बैटन को थामा।बोकारो पहुंचने पर बैटन का भव्य स्वागत किया गया। बड़ी संख्या में खेलप्रेमियों की मौजूदगी रही। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग सड़क के दोनों ओर खड़े थे। स्कूली बच्चों ने स्वागत गान गाया। क्वींस बैटन के स्वागत में बोकारो के रुटों को काफी शानदार ढंग से सज

अब बोकारो में ऑनर किलिंग .....

झारखंड में कोडरमा की रहनेवाली पत्रकार निपमा की मौत का मामला अभी सुलझा भी नहीं था कि बोकारो में भी ऑनर किलिंग की घटना दोहरायी गयी. 12  वीं का छात्र विराट विद्या उर्फ गोलू की उसकी प्रेमिका के भाइयों ने मिल कर हत्या कर दी. पुलिस ने गोलू की प्रेमिका नुपूर के चारों भाइयों को गिरफ्तार कर लिया है. चारों भाई राकेश कुमार ,  मिंटू बाउरी ,  विक्रांत जैकी व रवि ने घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है. बोकारो में पढ़ाई करता था गोलू चिकित्सक डॉ एम लाल के सेक्टर चार थाना क्षेत्र स्थित सेक्टर चार सी/ 2030  आवास में रह कर पढ़ाई करता था. वह बेगूसराय (बिहार) का मूल निवासी था.    गोलू के पिता कोडरमा में बैंक ऑफ़ इंडिया में हैं. शनिवार सुबह इसी आवास से उसका शव मिला. शरीर पर चोट के निशान थे. सूचना मिलते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंची. जांच के दौरान मामला प्रेम प्रसंग का पाया गया. सेक्टर चार थाना पुलिस ने उसकी प्रेमिका नुपूर के चारों भाइयों को हिरासत में लेकर पूछताछ की. पुलिस के अनुसार ,  नुपूर के भाइयों ने पीट-पीट कर गोलू को मार डाला. नुपूर के सामने ही गोलू की पिटाई की गयी. बचाने गयी नुपूर को भी उसके

रोहन में बीज डालने के बाद फसल में कीड़े नहीं लगते है !!

बोकारो जिले के कसमार ,  पेटरवार और जरीडीह समेत आस-पास के क्षेत्र में मंडरा रही दुर्भिक्ष की काली छाया को देख कर किसानों ,  मजदूरों एवं आम जनता में त्राहिमाम की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. खेती किसानी की परंपरागत तकनीक पर विश्वास करें , तो रोहन यानी रोहिनी नक्षत्र के प्रवेश करते ही किसान अपने-अपने खेतों में धान के बीज डाल देते थे. इसमें यह मान्यता है कि रोहन में बीज डालने के बाद फसल में कीड़े नहीं लगते है. पिछले कई वषरे से लगातार सुखाड़ की मार ङोल कर किसानों की कमर टूट चुकी है. इस वर्ष भी    स्थिति कुछ ऐसी ही है. मॉनसून का प्रवेश तो धमाकेदार हुआ ,  लेकिन दो दिन बूंदा-बांदी कर ऐसा रुठा कि वापस आने का नाम ही नहीं ले रहा है. गांव में किसान रोज पूजा-पाठ कर    इंद्र भगवान को प्रसन्न करने की कोशिश में    जुटे है. बारिश भले ही न हो , लेकिन बादल रोज आसमान में उमड़ रहे है. इधर देर-सबेर बिहन डालने के बाद धान के बीचड़े जो खेतों में उग आये थे. उसकी हरियाली पर अब धीरे-धीरे पीलापन की परत चढ़ने लगी है. ऐसे में क्षेत्र के किसानों में संशय की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. इसके अलावा इस वर्ष वर्षा के आभा

बोकारो जिले का नक्‍शा

इसे बडे रूप में देखने के लिए इसे दूसरे विंडों में खोलें  .......

हमारा जिला बोकारो : एक परिचय

बोकारो झारखंड राज्‍य के 24 जिलों में से एक है।  बोकारो जिला मुख्यालय स्थित बोकारो इस्पात नगर 23.29 आक्षांश और 86.09 देशान्तर पर है । बोकारो जिला का सम्पूर्ण भौगोलिक क्षेत्रफल 2861 वर्ग कि.मी. और 35766.36 हेक्टेयर की भूमि पर फैला हुआ है । यह   दामोदर   नदी   के दक्षिणी हिस्से में   पारसनाथ   की पहाड़ियों के बीच स्थित है।  1991 में धनबाद जिले से दो ब्‍लॉक और गिरिडीह जिले से छह ब्‍लोकों को काटकर इस जिले को मूर्त रूप दिया गया। बोकारो स्‍टील सिटी इसका जिला मुख्‍यालय है। 2001 की जनगणना के अनुसार इस जिले की जनसंख्‍या 17,75,961 है। यह 2861 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसकी समुद्र तल से औसत ऊंचाई 210 मीटर है। दामोदर नदी के कारण यहां के उद्योगो और औद्योगिक नगरों को पानी की आपूर्ति होती है। पूरे झारखंड में छोटी बडी अनेक पहाडियां हैं।  वर्ष 1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व.इंदिरा गांधी ने जिस सोच के तहत बोकारो में स्टील प्लांट के साथ विकास की नयी बुनियाद खड़ी थी। आज उसी बुनियाद पर औद्योगिक उन्नति की नई-नई इमारतें खड़ी होती जा रही हैं। कभी पहाड़ , जंगल-झाड़ियों के बीच बसा यह जिला आज विकास क

अब आधुनिकता के चक्‍कर में बोकारो भी आ गया है !!

वैसे तो पूरा झारखंड ही प्राकृतिक संपदाओं से परिपूर्ण है , इसलिए बोकारो का महत्‍व तो है ही । इस सदी के उत्‍तरार्द्ध में हुए औद्योगिकीकरण ने बोकारो को भले ही एक नई पहचान दी हो , पर इस क्षेत्र के लोगों को कभी भी रोजी रोटी की समस्‍या से नहीं जूझना पडा। पुराने जमाने में जहां एक ओर यहां के खेत और बगान ग्रामीण गृहस्‍थों की जरूरत को पूरा करने में समर्थ होते थे , वहीं यहां के घने जंगल आदिवासियों की जरूरत भी। यही कारण है कि यहां के लोगों को कभी भी अपनी रोजी रोटी के लिए पलायन नहीं करना पडा। ऐसा भी नहीं कि यहां के खेत की मिट्टी बहुत ही ऊपजाऊ है , जो वर्षभर में कई फसल दे देती है। इस जिले में रबी की फसल तो होती ही नहीं , सिर्फ एक धान की खेती पर ही सबको गुजारा करना पडता है। बारिश अधिक होने के कारण एक फसल होना तो लगभग तय ही है। पहाडी क्षेत्र होने के कारण कुछ खेत काफी गहरे हैं , जो थोडे पानी में भी भर जाते हैं। अनावृष्टि के समय में भी उनसे कुछ फसल की उम्‍मीद हो जाती है। इसके लिए भी हर वर्ष खेत में खाद डालना आवश्‍यक होता है। वर्षभर के खाने का चावल हो जाए , तो साग, सब्‍जी या दलहन लोग अपने बागानों में ह